तू अपने जैसा अछूता खयाल दे मुझको
मैं तेरा अक्स हूँ अपना जमाल दे मुझको
मैं टूट जाउँगी लेकिन न झुक सकूंगी कभी
मजाल है किसी पैकर में ढ़ाल दे मुझको
मैं अपने दिल से मिटा दूंगी तेरी याद मगर
तू अपने ज़ेहन से पहले निकाल दे मुझको !
मैं संगे कोह की मांनिंद हूँ न बिखरूंगी
न हो यकीं जो तुझे, तो उछाल दे मुझको
खुशी खुशी बढ़ूं, खो जाऊं तेरी हस्ती में
‘अना’ के ख़ौफ से “सानी” निकाल दे मुझको
अक्स – प्रतिबिंब /reflection
जमाल – सौंर्दय /beauty
पैकर – िजस्म / body (here it means mould)
संगे कौह – पहाड़ का पत्थर / stone (here it means strong as a stone)
अना – अहंभाव /ego
This Ghazal was published in “Kaumiraj” (date not known)
bahut sundar gazal….
Kya khne.