मैं टूट जाउँगी लेकिन न झुक सकूंगी कभी मजाल है किसी पैकर में ढ़ाल दे मुझको तू अपने जैसा अछूता खयाल दे मुझको मैं तेरा अक्स हूँ अपना जमाल दे मुझको मैं अपने दिल से मिटा दूंगी तेरी याद मगर तू अपने ज़ेहन से पहले निकाल दे मुझको ! मैं संगे कोह की मांनिंद हूँ न बिखरूंगी न हो यकीं जो तुझे, तो उछाल दे मुझको खुशी खुशी बढ़ूं, खो जाऊं तेरी हस्ती में ‘अना’ के ख़ौफ से “सानी” निकाल दे मुझको | تو اپنے جیسا اچھوتا خیال دے مجھ کو میں تیرا عکس ہوں اپنا جمال دے مجھ کو میں ٹوٹ جاگي لیکن نہ جھک سکوں گی کبھی مجال ہے کسی پےكر میں ڑھال دے مجھ کو میں اپنے دل سے مٹا دوںگی تیری یاد مگر تو اپنے ذہن سے پہلے نکال دے مجھ کو! میں سگے کوہ کی ماند ہوں نہ بكھروگي نہ ہو یقین جو تجھے، تو اچھال دے مجھ کو خوشی خوشی بڑھو، کھو جاؤں تیری هستي میں انا’ کے خوپھ سے “ثانی” نکال دے مجھ کو’ |
अक्स – प्रतिबिंब /reflection
जमाल – सौंर्दय /beauty
पैकर – िजस्म / body (here it means mould)
संगे कौह – पहाड़ का पत्थर / stone (here it means strong as a stone)
अना – अहंभाव /ego
bahut sundar gazal….
Kya khne.