दर्सग़ाहों मे ताले है हंगामा खेज़ी की लहरें रवाँ बेसुकूनी के बादल घने हो गये नफ्से नाकारा भड़का रहा है उन्हें अपने बच्चे हैं ये! इनकी तहज़ब व तालीम नाकिस रही ! प्यार की प्यास बढ़ती रही दिन-ब-दिन एक कतरा न उनके सुलगते लबों पर गिरा माँ की ममता व शफक्कत से महरूम हैं प्यार उस्ताद का भी ग़ुरेज़ा रहा इनके मासूम दिल यूं तड़पते रहे जैसे बिस्मिल कोइ ज़ेरे शमशीर हो फिर कहीं से बग़ावत की चिंगारी आकर दिमागों पे छाने लगी शोलाज़न हो गयी इंतकामी ख़यालों का ग़लबा हुआ पायी तखरीब व ग़ारतगिरी में पनाह अपने बच्चे हैं ये! अपनी दौलत हैं ये!! इनको राज़े मोहब्बत बता दीजिये आइये और दरसे वफा कीजिये जिन्दगी का सलीका सिखा दीजिये अपने बच्चे हैं ये प्यार के मुसतहिल! | درس گاہوں میں تالے ہیں ہنگامہ خیزی کی لہریں رواں بے سکونی کے بادل گھنے ہوگئے نفس ناکارہ بھڑکا رہا ہے انھیں اپنے بچے ہیں یہ! ان کی تہذیب و تعلیم ناقص رہی! پیار کی پیاس بڑھتی رہی دن بدن ایک قطرہ نہ ان کے سلگتے لبوں پر گرا ماں کی ممتا و شفقت سے محروم ہیں پیار استاد کا بھی گریزاں رہا ان کے معصوم دل یوں تڑپتے رہے جیسے بسمل کوی زیر شمشیر ہو پھر کہیں سے بغاوت کی چنگاری آکر دماغوں پہ چھانے لگی شعلہ زن ہوگئی انتقامی خیالوں کا غلبہ ہوا پائی تخریب و غارت گری میں پناہ اپنے بچے ہیں یہ! اپنی دولت ہیں یہ!! ان کو رازِ محبت بتا دیجیے آئیے اور درسِ وفا دیجیے زندگی کا سلیقہ سکھا دیجیے اپنے بچے ہیں یہ پیار کے مستحق! |