आपको देखके एहसास हुआ जैसे मुद्दत से शनासाई हो दिल के रिशते यूँ ही होते हैं मगर! आपकी सिम्त बढ़ी सेहर ज़दा सी होकर! जैसे खीचें किसी तिनके को कोई काह रुबा आपका नर्म चमकता चेहरा जैसे कंदील मेरी राहों की मेरे मुर्शत, मेरे मुशफ्फक! मेरे ऐ काबा ऐ दीन! मेरी राहों को उजाला बख्शें ज़ंग आलूद है शीशा दिल का चश्मे ताबाँ से मुज्जला कर दें … ज़ज़्बा ए कार उभरता ही नहीं अपनी उल्फत से हरारत बख्शें अज़मते फन भी मेरी जूया हो मुझको तर्ज़-ए-नौ की हूँ जिद्दत-ए-इफकार मिले मेरी ता’मीर को आहंग नया इक नया रूप नया रंग नया मोड़ मिले मेरे मुर्शद मेरे ऐ किब्ला-ए-दीन | آپ کودیکھ کے احساس ہوا جیسے مدت سے شناسائی ہو دل کے رشتے یونہی ہوتے ہیں مگر! آپ کی سمت بڑھی سحر زدہ سی ہوکر! جیسے کھینچے کسی تنکے کو ، کوئی کاہ رُبا آپ کا نرم چمکتا چہرہ جیسے قندیل مری راہوں کی میرے مرشد ، مرے مشفق! مرے اے کعبہئ دیں! میری راہوں کو اجالا بخشیں زنگ آلود ہے شیشہ دل کا چشمِ تاباں سے مجلّا کردیں ۔۔۔۔۔۔ ۔۔۔۔۔۔ جذبہئ کار ابھرتا ہی ۔۔۔۔۔۔نہیں اپنی الفت سے حرارت بخشیں عظمت فن بھی مری جویا ، ہو مجھ کو طرز نو کی ہوں جدت افکار ملے میری تعمیر کو آہنگ نیا اک نیا روپ نیا رنگ نیا موڑ ملے میرے مرشد ، مرے اے قبلہئ دیں! |