आप कहते हैं तो ये सोचने लगती हूं मैं प्यार खुदगर्ज़ सही दिल मेरा मक्कार सही आपके दिल में खुलूस और वफा है मख्फी मैं दगाबाज़ सही फितरतन ऐयार सही आपके प्यार के साये में तो अक्सर मुझको राहते रूह मिली कल्ब को तस्कीन हुयी शुक्रिया आपके अहसां का करूँ मैं कैसे था खिज़ाँ दीदा ए चमन आपसे तज़ईन हुयी दिल बेगाना ए आदाब खता कर बैठा जिन्दगी हो गयी फिर नज़्र ए तग़ाफुल शुआरी बदगुमानी ने मोहब्बत को रियाकार कहा दुख हुआ, सोज़ मिला, मिल गयी आहवोज़ारी ज़िन्दगानी के शबिस्तां में सियाही फैली आप कंदीले मोहब्बत ज़रा रोशन कर दें मोअद्दबाना है गुज़ारिश न हो बारे खातिर दिल पशेमान तो है मेहर से गुलशन कर दें मेरी खुशफहमी यही कहती है मुझसे अब भी ज़ाहिरी तर्क ए तआल्लुक है हकीकत तो नहीं चश्मे बातिन से जो देखेंगे इनायत होगी आपको मुझसे मुझे आपसे नफरत तो नहीं | آپ کہتے ہیں تو یہ سوچنے لگتی ہوں میں پیار خود غرض سہی دل میرا مکّار سہی آپ کے دل میں خلوص اور وفا ہے مخفی میں دغا باز سہی فطرتاً عیار سہی آپ کے پیار کے سائے میں تو اکثر مجھ کو راحت روح ملی قلب کو تسکین ہوئی شکریہ آپ کے احساں کا ادا ہو کیسے؟ تھا خزاں دیدہ چمن آپ سے تزئین ہوئی دل بیگانہئ آداب خطا کر بیٹھا زندگی ہوگئی پھر نذرِ تغافل شعاری بدگمانی نے محبت کو ریاکار کہا دکھ ہوا ، سوز ملا ،مل گئی آہ و زاری زندگانی کے شبستاں میں سیاہی پھیلی آپ قندیل محبت ذرا روشن کردیں مؤ دبانہ ہے گذارش نہ ہو بارِ خاطر دل پشیماں تو ہے مہر سے گلشن کردیں میری خوش فہمی یہی کہتی ہے مجھ سے اب بھی ظاہری ترکِ تعلق ہے حقیقت تو نہیں چشمِ باطن سے جو دیکھیں گے عنایت ہوگی آپ کو مجھ سے مجھے آپ سے نفرت تو نہیں |