जब भी शो-केस में रंगीन खिलौना कोई मुझको आता है नज़र दिल मचल जाता है पाने के लिये मुज़्तरिब एसे बढ़े जाती हूँ कहरुबा तिनके को जैसे खींचे (कोई मासूम तमन्ना रही तिश्ना शायद) दश्ते पुरशौक में थामे हुये पैकेट उसका एक अजबसर खुशी हो जाती है तारी दिल पर जैसे मयखानाबदोश आये घटा और मये-ताब छलक जाये रगे मीना से कतरा कतरा रग़ो-रेशे में उतरती जाये इस तर्बखैज़ घड़ी में अक्सर खोलना चाहती हूँ ज़ेहन के बंद दरीचों को, मैं दस्तक दे कर कौन सी तिश्ना तमन्ना है ? नहीं याद आता कुछ भी नहीं याद आता | جب بھی شوکیس میں رنگین کھلونا کوئی مجھ کو آتا ہے نظر دل مچل جاتا ہے پانے کے لیے مضطرب ایسے بڑھے جاتی ہوں کہر با تنکے کو جیسے کھینچے (کوئی معصوم تمنا رہی تشنہ شاید) دست پُر شوق میں تھامے ہوئے پیکٹ اس کا اک عجب سر خوشی ہوجاتی ہے طاری دل پر جیسے میخانہ بدوش آئے گھٹا اور مئے ناب چھلک جائے رگِ مینا سے قطرہ قطرہ رگ و ریشے میں اترتی جائے اس طرب خیز گھڑی میں اکثر کھولنا چاہتی ہوں ذہن کے بند دریچوں کو ، میں دستک دے کر کون سی تشنہ تمنا ہے؟ نہیں یاد آتا کچھ بھی نہیں یاد آتا |